Wednesday, June 9, 2010

Garun Puran Rahashya

ISBN: 978-93-80470-01-6
गरुड़ पुराण रहस्य
लेखक
परम दयाल फकीर चंद जी महाराज
फकीर के धार्मिक विचारों के कई स्रोत थे जैसे हिंदू धर्म (सनातन धर्म) और राधास्वामी मत से उनकी लंबी सहबद्धता और सब से बढ़ कर सुरत शब्द योग में उनका निजी अनुभव. फकीर को राधास्वामी मत के मानवतावादी नजरिए में सहमति योग्य बहुत कुछ मिला लेकिन वे उनके नामदान के परंपरागत तरीके और भारत में प्रचलित गुरुइज़्म से असहमत थे. ऐसी धार्मिक प्रथाओं के प्रति उनकी सहनशीलता शून्य थी जिनसे गरीब, विश्वासी और भोले-भाले लोगों का शोषण होता हो. वे कबीर द्वारा चलाए गए संतमत के बुनियादी सिद्धांतों के प्रबल हिमायती थे परंतु सुरत शब्द योग की उच्चतम अवस्थाओं के अंतिम परिणाम और संतों द्वारा पोषित रहस्यवाद से उनका मोहभंग हो चुका था. बाद में उन्होंने योग-साधना को दिए जा रहे महत्व को कम किया और संतमत के मानवतावाद पर बल दिया. फकीर की इस विचार में आस्था थी कि 'सेक्स केवल संतान उत्पत्ति के लिए हो' (यहाँ वांछित संतान अभिप्रेत है). बिना संतान की इच्छा के पैदा हुई संतान को वे ख़ुद रौ संतान कहा करते थे जो देश के लिए हानिकारक है. संतान को संतान प्राप्ति के भाव से उत्पन्न करने पर वे बल देते थे. इससे मानव जाति के कष्ट कम हो सकते हैं. उनके जीवन-दर्शन के अनुसार दूसरों के और अपने कल्याण की इच्छा करना जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण का महत्वपूर्ण हिस्सा है. युवाओं को आंतरिक शांति के लिए उन्होंने शारीरिक और मानसिक ब्रह्मचर्य का पालन करने, सदा व्यस्त रहने, अपनी आजीविका स्वयं कमाने, किसी सच्चे इंसान के मार्गदर्शन में रहने और आत्म-संयमी बनने की सलाह दी. अपने सामाजिक कर्तव्य के तौर पर उन्होंने अनुयायियों से कहा कि वे दूसरों को नीयतन कष्ट न पहुँचाएँ, बेमतलब बात करने से बचें, कड़वे शब्दों के प्रति सहनशील बनें और साथी प्राणियों की नि:स्वार्थ सेवा करें फकीर ने 'हर कीमत पर घरेलू शांति' पर विशेष बल दिया. शुभ कर्म, शुद्ध कमाई, दान (जिसमें प्रेम और कल्याण भी शामिल है) आदि जीवन के ऐसे पक्ष थे जो आध्यात्मिक और सामाजिक दायित्व में शामिल थे. ये मानव मात्र के लिए आवश्यक हैं. आध्यात्मिक साधनाओं के अंतर्गत उन्होंने प्रेम, भक्ति, विश्वास, समर्पण पर ज़ोर दिया. 'स्वयं के प्रति सच्चा बनने', ईश्वर की इच्छा के प्रति समर्पण करने, सुमिरन-ध्यान करने और इस प्रकार अंत में आत्मज्ञान प्राप्त करने का तरीका उन्होंने बताया. फकीर चंद जी महाराज ने इस बात पर हमेशा बल दिया कि स्त्रियों का गुरु स्त्री को ही होना चाहिए. यह महिलाओं के सामाजिक सम्मान के लिए ज़रूरी है. फकीर ने अनुभव किया कि इन्सान चेतन तत्त्व का बुलबुला है और कि संतों का और मानव का अंतिम लक्ष्य (मंज़िले मकसूद) शांति है.

1 comment:

  1. बहुत बढ़िया प्रस्तुति है. बहुत अच्छा लगा.

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