Friday, April 23, 2010

शास्‍त्रार्थ

रंग लेखन और रंगचर्चा की दष्टि से देखें तो हिन्‍दी नाटकों में विभिन्‍न प्रकार के प्रयोग हो रहे हैं ये प्रयोग सामयिक और सनातन प्रश्‍नों से मुठभेड करते हुए अपनी सार्थकता सिध्‍द करते हैं अब यह चिन्‍ता कुछ कम हो रही है कि हिन्‍दी में मौलिक नाट्रयलेखों का अभाव है वस्‍तुत पिछले दो दशकों में नाट्रयलेखकों और नाट्रय निर्देशकों ने अपनी स‍िक्रियता से हिन्‍दी रंगकर्म को और भास्‍वर किया है शास्‍त्रार्थ इसी कडी में एक मौलिक नाटय रचना है आचार्य शंकर और मंडन मिश्र का शास्‍त्रार्थ बहुविदित है मंडन मिश्र की पत्‍नी शारदा का हस्‍तक्षेप और अमरूक के शरीर में शंकर का परकाया प्रवेश ये ऐसे प्रसंग है जो पाठकों को रोमांचित करते रहे हैं शास्‍त्रार्थ नाटक इसी कथाभूमि पर विकसित है तीन अंकों और दस दरष्‍यों में सुसंयोजित यह रचना रंगमंच के लिए एक नवीन आकर्षण सिध्‍द होगी भारतेन्‍दु मिश्र संस्‍करत साहित्‍य के अध्‍येता है इसलिए शास्‍त्रार्थ में गूढ चिन्‍तन का सहज समावेश हो गया है
पुस्‍तक
शास्‍त्रार्थ
लेखक
भारतेन्‍दु मिश्र
प्रकाशक
कश्‍यप पब्लिकेशन

Nai Roshni: Author: Bhartendu Mishra, ISBN: 8190550187 - A1Books India

Nai Roshni: Author: Bhartendu Mishra, ISBN: 8190550187 - A1Books India

nai roshni

Nai Roshni by Bhartendu Mishra
ISBN - 8190550187
नई रोसनी का कथा फ़लक व्‍यापक है गांव से लेकर देश की राजधानी तक फैला हुआ। कथा का आरम्‍भ होता है बडे भाई रमेसुर के माध्‍यम से जो दिल्‍ली के बार्डर पर स्थिति कलंदर कालोनी में रहते हुए स्‍वयं के चार रिक्‍शों को किराये पर उठाने का धन्‍धा करते हैं और बंटी चौराहे पर स्थिति पांडे पान वाले की पुटपथियां दुकान पर से गांव में रह रहे अपने छोटे भाई का हालचाल लेने के लिए गांव के ठाकुर के घर पर फोन करते हैं कि ठाकुर साहब ३०० रपये माहवार पर उन्‍हीं की सेवा में चौबीसों घंटे की चाकरी करने वाले निरहू को बुला देंा और फिर शुरू होता है उधड रहे स्‍वेटर के फन्‍दों की भांति महमूदाबाद के रामपुर के निकट स्थित गांव धांधी के अन्‍तर्ससार के तलछट का कुरूप सत्‍य ......... पुस्‍तक नई रोसनी लेखक भारतेन्‍दु मिश्र रूपये 60 रूपये प्रकाशक कश्यप पब्लिकेशन बी-48/ यूजी-4, दिलशाद एक्‍टेंशन-II डीएलएफ, गाजियाबाद फोन 09868778438