Friday, May 7, 2010

santmat by bhagat munshiram

Title: Santmat by bhagat munshiram ISBN: 8190550144 Review Text: "बचपन से ही संत और संतमत जैसे शब्‍द अपनी अलग-अलग छवियों के साथ मन पर बैठतेरहे हैं. संतमत की एक छवि रहस्‍य जैसी भी है जिसे जाना नहीं जा सकता. एक अलौकिकप्रभामंडल जैसी भी है जो लुभाता तो है परन्‍तु उस तक पहुँचना कठिन है. कोईबेपरवाह तेजस्‍वी है जो हर हाल में मस्‍त है. कहीं साधुओं या सत्‍संगियों कीभीड़ पर हवा-सा पसरा बैठा है. कहीं सुधारक, कहीं उद्धारक, कहीं कष्‍ट निवारक, कहींमनोकामना पूरी करने वाला. कहीं किसी धर्मगुरु की मूर्ति, कहीं किसी महात्‍मा काफोटो. इन छवियों का कोई अन्‍त नहीं और सब के सब लडाइयों के धन्‍धे......" प्रकाशक कश्यप पब्लिकेशन बी-48/ यूजी-4, दिलशाद एक्‍टेंशन-II डीएलएफ, गाजियाबाद फोन 09868778438

1 comment:

  1. आपकी यह पुस्तक अच्छी बन पड़ी है. कवर पेज कथ्य के अनुकूल है. पुस्तक में उल्लिखित फकीर चंद जी पर अमेरिका में बहुत कार्य हो रहा है.

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