Tuesday, March 15, 2011

बतकही


ISBN : 978-93-80470-07-8 
बतकही सम्‍पादक भारतेन्‍दु मिश्र

डीयरपार्क दिलशाद गार्डन मे दि.16-2-11 को हिन्दी के जाने माने आलोचक और वरिष्ठ साहित्यकार डाँ.विश्वनाथ त्रिपाठी का 80वाँ जन्मदिन मनाया गया। पार्क के खुले आँगन मे जहाँ वे रोज सुबह सैर करते हैं वहीं के कुछ लेखक और पत्रकार मित्रो के सहयोग से यह समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर डीयरपार्क के मित्रो के सहयोग से प्रकाशित बतकही शीर्षक पुस्तक का उन्हे समर्पण किया गया। इस पुस्तक का सम्पादन भारतेन्दु मिश्र ने किया। यह पुस्तक साहित्यिक अड्डेबाजी या साहित्यकारो की गप्प गोष्ठी का एक सहज दस्तावेज है। बाद मे त्रिपाठी जी ने इस पुस्तक का लोकार्पण करते हुए कहा- मै यहाँ बीस वर्षो से आ रहा हूँ ,यहाँ के हमारे सभी मित्रो ने ये जो मेरे लिए आयोजन किया है इससे बडा आयोजन मेरे लिए और हो नही सकता।हम लोग बरसों से एक साथ यहाँ बैठते है क्योकि यहाँ हम आपस मे अपनी रचनाओ की चर्चा नही करते। साहित्य से इतर केवल गप्प होती है तो इसीलिए यह चल रहा है। दूसरी तरह के महत्वाकान्क्षी बहुत से लोग जो हमारे बीच आये भी वो खुद कुछ न मिलने पर चले गये।..तो हम लोग आपस मे इसी लिए लम्बे समय से जुडे है कि हम किसी को कुछ देने की स्थिति मे नही हैं। इसी लिए यह हमारी गप्प गोष्ठी चल रही है।कुछ आते रहे कुछ जाते रहे। हम सबमे कमियाँ हैं-कमियाँ हैं तभी चल रहा है।
समारोह का संचालन लखनऊ से पधारे डियरपार्क के पुराने साथी और पत्रकार विभांशु दिव्याल ने किया। संचालन करते हुए उन्होने - बतकही को साहित्य मे अपनी तरह की पहली किताब बताया जिसमे साहित्यकारो की गप्प को लिपिबद्ध किया गया है। इस अवसर पर अन्य वक्ताओ मे बलराम अग्रवाल, अशोक गुजराती, भारतेन्दु मिश्र, रमेश प्रजापति, जयकृष्ण सिंह आदि ने त्रिपाठी जी को स्वस्थ और दीर्घायु होने की शुभकामनाएँ दीं। इसके साथ ही समारोह मे सुश्री काजल पाण्डेय, हरिनारायण, रमेश आजाद, अंगद तिवारी, राम कुमार कृषक, जयशंकर शुक्ल, वरिष्ठ नागरिक अवतार सिंह सहित अनेक मित्रो ने भाग लिया।
पुस्‍तक का मूल्‍य - 125 रूपये

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