
Galti Sudhar Gayee by Jagmohan Azad
ISBN:978-93-80470-02-3
Review Text : आज़ाद की इन बाल कहानियों में गढ़वाल और कुमाऊं की पथरीली जमीन का अहसास है, वहां के स्कूलों की खामियां-खूबियां भी तो बच्चों के दर्द की अपनी अभिव्यक्ति भी है। इन कहानियों में कई कहानियां मुक्तिकामी चेतना को आवाज़ देने वाली तो है साथ सहज सरल भाषा में बच्चों की सहज सरल कहानियां भी हैं। जिनकी आज के बच्चों को जरूरत है।
आज के बच्चे कम्प्यूटर गेम और 'ई' तकनीकी के जिस तरह से दिवाने हो रहे है। ऐसे में गांव-खेत-खलिहाना और दादा-दादी के समय से बच्चों के लिए संस्कार-आदर्श निकालकर इनके सामने रखना जितना चुनौती पूर्ण हैं,यह आज किसी से छुपा नहीं हैं। लेकिन जगमोहन ने अपने पहले बाल काहनी संग्रह 'गलती सुधर गयी' के माध्यम से जिस तरह से इस चुनौती को स्वीकार किया हैं। इसकी निश्चित तौर पर प्रसन्नसा की जानी चाहिए। क्योंकि इन संस्कारों और आदर्शों की आज के बच्चों को बहुत जरूरत हैं।
मूल्य : 80 रूपये
प्रकाशक : कश्यप पब्लिकेशन
बी-48/यू. जी.-4, दिलशाद एक्सटेंशन-2 डीएलएफ, गाजियाबाद-05
फोन: 9868778438